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वृज में कान्हा की पुकार हे
जग में कान्हा की पुकार हे,..(२)
कह रही हे भक्तो की जुबा
बस तुम्हारा इंतजार हे,..(२)
ढूंढते हे हम तुमको दरबदर
जाने कब कहा पे दर्शन होंगे,..प्रभु वर
हमहे बेखबर तुम हो किधर ढूंढे
दर बदर फिर भी तुम हो बेअसर,..व्रज में
अब ना तुम से दूर होंगे हम
बस तुम्हारा ही इंतजार हे,..व्रज में,
-राधाकृष्ण भजन,