अलख तूने खेल बनाया भारी | Alakh Tune Khel Banaya Bhari Lyrics

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अलख तूने खेल बनाया भारी
गुरूजी तेरी लीला अपरंपारी ,
इस काया में पास तत्व है
दुग्धा उनमे नारी ,
पचीस प्रकृति साथ रखे वो
ऐसी है बिस्तारी ,
अलख तूने खेल बनाया भारी ,
पांच पचीस मिल घरके अंदर
करते है मारा मारी ,
पाँचको मार पचीस को बसकर
तभी करे सरदारी ,
अलख तूने खेल बनाया भारी
इस काया में दश दरवाजे
दशमे जिणी बारी ,
ऐ बारी कोई विरला खोले तो
उनकी है बलिहारी ,
अलख तूने खेल बनाया भारी ,
दास ” सतार ” ने दिल दरिया में
जाके डुबकी मारी ,
सद्गुरु दाता के प्रतापसे
मोती पाया हजारी ,
अलख तूने खेल बनाया भारी ,
Alakh Tune Khel Banaya Bhari Lyrics
Das Satar Bhajan Lyrics

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