तूने बंसरी बजाई उनकी नींद है चुराई
रैना काटी होगी उसने जागकर,..
बंसीधर ओ बंसीधर,..
उसने ना यु काबू कर
बंसीधर मैं बंसीधर,..
हक़ तो है मेरा रुक्मिणी पर
राधे सुर है मैंने साधे,…
मेरे है पक्के इरादे,…
ओ आऊंगा रुक्मणि को छोड़कर
बंसीधर ओ बंसीधर,..
गोकुल में भी तूने कान्हा
गोपिन को भी पागल किया था..
तूने ये वेणु बजाकर,…
दिल सबका घायल किया था
बचपन के दिन भी थे न्यारे,..
अब तो हो गई कहानी
हर गोपी मेरे ही मेरे पीछे,.
ना जणू क्यों थी दीवानी
जादू तेरी छबि का..
तू तो चोर सभी का…
भक्त एते हे पीछे छोड़कर
बंसीधर ओ बंसीधर,..
जब जब याद आते हे वे दिन
यादे मन को मनाती,..
याद तब वे ही घडिया
अच्छा हो गर लोट पाती
विपदाँये आयी हे जिनपे
उन सब ने मुजको पुकारा
फर्ज निभाया हे मैंने,..
तुमको दिया हे सहारा
तबही वो कन्हाई तेरेदिलमे समाई
होने लग गई हे उनका फिकर
बंसीधर ओ बंसीधर,..
-राधाकृष्णन भजन,