आ मांखन मिश्री खाले हम
अरमा सब दिलके मिटाले हम
दिलमे में हे खलबली
पकड़ी ना जाये चोरी,..(२)
चुके न मौका ये हम
आ माखन मिश्री चढने दे
तू चुपके से मुझे मटकी दे
चढ़ भी जा चुपके से मैया
दिलमे हे खलबली पकड़ी ना
आ तूने जो देखा हे माँ से कहदे
मैंने तो भी खाया हे कहूँगी में
सामने माँ खड़ी जान आफत में पड़ी
मिलके चले भागे हम सब रे
आ मांखन मिश्री खाके चले रे,
-राधेकृष्ण भजन,