अगर है प्रेम दर्शन | Agar Hai Prem Darshan Lyrics | Bhajanbook online

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अगर है प्रेम दर्शन का , भजन में प्रीत कर प्यारे
छोड़कर काम दुनिया के , रोक विषयो से मन अपना
जीतकर नींद आलस को , रहो एकांत में न्यारे ।।
बैठ आसन जमा करके , त्याग मनके विचारो को
देख भृकुटि में अंदर से , चमकता है अजब तारा ।।
कभी बिजली कभी चंदा , कभी सूरज नजर आवे
कभी फिर ध्यान में भासे , ब्रह्मज्योतिका चमकारा ।।
मिटे सब पाप जन्मो के , कटे सब कर्म के बंधन
वो ” ब्रह्मानंद ” में होवे , लीन मन छोड़ संसारा

 

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