जो आनंद संत फ़क़ीर करे | Jo Anand Sant Fakir Kare Lyrics

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जो आनंद संत फ़क़ीर करे
वो आनंद नाही अमीरी में ,
सुख दुःखमें समता साध रखे
कुछ खौफ नाही जागीरी में ,
जो आनंद संत फ़क़ीर करे ।
हर रंग में सेवक रूप रहे
अम्रित जल का जयू कूप रहे ,
सत्कर्म करे और चुप रहे
भले छाव मिले या धुप रहे ,
निः स्पृही बने जग मे विचरे
और रहेवे धीर गंभीरी में ,
जो आनंद संत फ़क़ीर करे ।
जग तारण कारण देह धरे
सत सेवा करे जग पाप करे ,
जिज्ञासु के घट में ज्ञान भरे
सतवाणी सदा मुख से उचरे ,
षडरिपु को बसकर रंग में रमे
और रहेवे सदा शूरवीरी में ,
जो आनंद संत फ़क़ीर करे ।
सदबोध जगत में आई कहे
सत मारग को दिखलाई कहे ,
गुरु ज्ञान के पदसे गाई कहे
” सतार” शब्द समजाई कहे ,
मरजीवा बने सो मौज करे
रहे अलमस्त फकीरी में ,
जो आनंद संत फ़क़ीर करे ।
Jo Anand Sant Fakir Kare Lyrics
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