Zindagi Ek Kiraye Ka Ghar Hai Lyrics | जिंदगी एक किराये का घर है

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जिंदगी एक किराये का घर है
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा
मोत जब तुजको आवाज देगी
घर से बाहर निकलना पड़ेगा
जिंदगी एक किराये का घर है ।।
रात के बाद होगा सवेरा
देखना है अगर दिन सुनेहरा (2)
पांव फुलो पे रखने से पहेले
तुमको काँटों पे चलना पड़ेगा
जिंदगी एक किराये का घर है ।।
ढेर मिट्टी का हर आदमी है
बाद मरने के होना यही है
या जमिनोमे , तरुबत बनेगी
या चिताओ मे जलना पड़ेगा
जिंदगी एक किराये का घर है ।।
रूठकर ओ जानेवाले
कम से कम मुजको इतना बतादे
तेरी यादो की जलती चितामे
कबतलक मुजको जलना पड़ेगा
जिंदगी एक किराये का घर है ।।
ये तकबूर ये जोर जवानी
चार दिनकी ये तेरी जिंदगानी
अब जिया शाम तक देखलेना
चढ़ते सूरज को ढलना पड़ेगा
जिंदगी एक किराये का घर है ।।

 

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