आज जनकपुर में मंडवा , बड़ा सुहावन लागे ,
सीता के चढ़ेला हरदिया , मन भावन लागे ,
हरे हरे बंसवा कटवले जनक राजा ,
मन में सुनैना माई के , बाजे ला आनंद बाजा ,
शोर भइले सगरी महलिया , बड़ा सुहावन लागे ,
सीता के चढ़ेला हरदिया , मन भावन लागे ,
धनी रे नगरिया के उमड़ल भगिआ ,
लग ली सुनर सिया के अमर सुहागिया ,
चउका पुरावल अंगनवा , बड़ा पवन लागे ,
सीता के चढ़ेला हरदिया , मन भावन लागे ,
आँखि के पुतरिया जे , भेजिहे नगरिया
धरती दरकी जईहे गिरिहे बिजुरिया
झर-झर बरसे नयनवा , जईसे सावन लागे ,
सीता के चढ़ेला हरदिया , मन भावन लागे ,
आज जनकपुर में मंडवा , बड़ा सुहावन लागे ,
सीता के चढ़ेला हरदिया , मन भावन लागे ,
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