अलख मिलन के काज फकीरी | Alakh Milan Ke Kaj Fakiri Lyrics

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अलख मिलन के काज फकीरी , लेके फिरू में जंगल में ,
तेरी सीकल के काज फकीरी , लेके फिरू में जंगल में ,
तुही तुही तार लगी दिल अंदर , रहु सदा एक रंगन में ,
तीन लोक की फ़िकर मिटाई , यही फिकर मेरे अंगन में ,
भभक भभूति रखु रोममे, नाह कर के ज्ञान गगन में ,
समता कफनी सिलाके डाली , ओढ़ रखी यही अंगन पे ,
भिक्षा करू में भजन भावकी , रहु सदा संत संगत में ,
करम कास्ट सब लकड़ी जला दू , मालिक तेरे मंगन में ,
मिलजा फ़क़ीर मिटे ये तनको , पड़ी हु दुनिया के दंगन में ,
सद्गुरु चरण ” दास सवो ” कहे , सदा रहु तेरे संगन में ,
Alakh Milan Ke Kaj Fakiri Lyrics 
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