सदाशिव सर्व वरदाता | Sadashiv Sarv Vardata Lyrics

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सदाशिव सर्व वरदाता,
दिगम्बर हो तो ऐसा हो ।
हरे सब दुःख भक्तों के,
दयाकर हो तो ऐसा हो ॥
शिखर कैलाश के ऊपर,
कल्पतरुओं की छाया में ।
रमे नित संग गिरिजा के,
रमणधर हो तो ऐसा हो ॥
शीश पर गंग की धारा,
सुहाए भाल पर लोचन ।
कला मस्तक पे चन्दन की,
मनोहर हो तो ऐसा हो ॥
भयंकर जहर जब निकला,
क्षीर सागर के मंथन से ।
रखा सब कण्ठ में पीकर,
विषधर हो तो ऐसा हो ॥
शिरो को काटकर अपने,
किया जब होम रावण ने ।
दिया सब राज दुनियाँ का,
दिलावर हो तो ऐसा हो ॥
किया नन्दिने जप बनमे ,
कठिन तप काल के डर से ।
बनाया खास गण अपना ,
अमरकर हो तो ऐसा हो
बनाए बीच सागर के,
तीन पुर दैत्य सेना ने ।
उठाये एक ही शर से,
त्रिपुरहर हो तो ऐसा हो ॥
दक्ष के यज्ञ में जाकर ,
तजि जब देह गिरजाने ।
किया जब ध्वस्त पलभरमे ,
भयंकर हो तो ऐसा हो
देवगण दैत्य नर सारे,
जपें नित नाम शंकर के ,
वो ब्रह्मानन्द दुनियाँ में,
उजागर हो तो ऐसा हो ॥
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